तुझसे प्यार करूँ के नहीं..!!

 

तुझसे प्यार करूँ के नहीं, ये सवाल दिल में आता है
तुम्ही से ये जवाब मिल जाये, दिल बस इतना चाहता है
तुम्हे तो मुझे एक झलक देखने तक का भी वक़्त नहीं
शायद यही अंदाज़ तुम्हारा मेरे दिल को भाता है

है कशिश सी तुम में, तुम्हारी और खींची चली जाती हूँ
नाम जब प्यार का आता है, तुम्हारा ही ख्याल दिल में लाती हूँ
जाने क्यों मुझे हर वक़्त तुम्हारा ये सुरूर रहता है
के जब तुम सामने आ जाओ, ये लफ्ज़ सजा भी न पाती हूँ

ना जाने कितनी ख्वाहिशों के अफ़साने तुम्हारे साथ सजाती हूँ
कई अरमान दिल में हैं, जिन्हें तुम्हारे लिए बचाती हूँ
कोई तुम्हे मेरे दिल के जज़्बात बतला दे अगर कभी
मैं दिल ही दिल में ये सोच कर खूब लज्जाती हूँ

11 Comments Add yours

  1. Rohit's poem says:

    बहुत ही खूबसूरत poem हैं….. keep it up…👍

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  2. Devsaab says:

    Directly from heart… Its sweet👌👌

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    1. veronicagarg says:

      Thanks a ton 😚

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  3. Rekha Sahay says:

    bahut khub! mithi sI vita hai.

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  4. Kyaa baat …….bahut khub

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    1. Ji dhanyawaad. Bahut bahut abhaar apka 😊

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